कृषि का क्षेत्र समय के साथ बदलता जा रहा है, और आज जैविक खेती पर जोर बढ़ता जा रहा है। यह एक ऐसा तरीका है जिससे न केवल हमारे खेतों की उत्पादकता बढ़ती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य उत्पादन को भी बढ़ावा मिलता है। इस दिशा में, भूमित्र और भूप्रहरी किट का उपयोग किसानों के लिए एक अनूठा समाधान प्रस्तुत करता है।
इन किटों में उपयोग किए गए जैविक तत्व फसलों को प्राकृतिक तरीके से पोषण देने और हानिकारक कीटों व रोगों से बचाने में सक्षम होते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता को कम करना है और जैविक कृषि को बढ़ावा देना है।
भूमित्र किट का परिचय
भूमित्र किट में कुल 9 प्रकार के जीवाणु होते हैं जो विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। इन जीवाणुओं में शामिल हैं:
1. WDC वेस्ट डी-कंपोजर
यह फसलों के अवशेषों को डी-कंपोज करके खाद में बदलने का काम करता है।
2. AZO-T एजोटोबैक्टर
यह जीवाणु नाइट्रोजन का उत्पादन करता है, जो फसल के विकास में सहायक होता है, विशेषकर फल, सब्जी, और वार्षिक फसलों के लिए।
3. ACT-O एसिटोबैक्टर
यह जीवाणु मीठी फसलों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है और नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करता है।
4. AJO-S एजोस्पिरिलम
यह धान जैसी वार्षिक फसलों को नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है।
5. RHI-ZO राइजोक्टोनिया
यह जीवाणु दलहनी फसलों के लिए उपयोगी है और नाइट्रोजन को अवशोषित करके फसल को उपलब्ध कराता है।
विशेष नोट
सभी जीवाणु विशेष प्रकार की फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, और सल्फर को प्राकृतिक रूप से उपलब्ध कराते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और उत्पादन में सुधार होता है।
भूप्रहरी किट का परिचय
भूप्रहरी किट
मुख्यत जैविक कीटनाशकों के रूप में कार्य करता है, और इसमें मुख्य रूप से तीन प्रमुख घटक होते हैं
1. TS-B (ट्राइकोडर्मा, स्यूडोमोनस, बासीलस सबटिलिस
यह सभी प्रकार के फफूंदनाशी बीमारियों से फसलों की रक्षा करता है।
2. PML-S पेस्टल माईसेलिया लिटिसिलम
यह जैविक तत्व विशेष रूप से पत्तियों के रोगों से बचाव के लिए उपयोगी होता है।
3. BBMV बेसिलस बायोसोरा और मेटरहिज़ियम ऐनीसोप्लाए
यह तत्व फसल के हानिकारक कीटों को नियंत्रित करने में उपयोगी होते हैं, विशेषकर दीमक और बड़े रसचूसक कीटों के लिए।
भूमित्र और भूप्रहरी किट का उपयोग
कैसे करें
इन जैविक किटों का उपयोग बहुत ही सरल है। किट में दिए गए निर्देशों के अनुसार, 100 लीटर पानी में 1 किलो गुड़ और 1 किलो छिला हुआ आलू मिलाया जाता है। इस मिश्रण को 7 दिनों तक छायादार स्थान में रखा जाता है और इसे नियमित रूप से सुबह और शाम हिलाते रहना चाहिए। इसके बाद इस मिश्रण का उपयोग खेतों में स्प्रे के रूप में या पानी के साथ मिलाकर किया जाता है।
भूमित्र और भूप्रहरी किट के लाभ
1. पर्यावरण के अनुकूल
रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के विपरीत, यह किट प्राकृतिक जीवाणुओं और जैविक तत्वों का उपयोग करता है, जो पर्यावरण को नकसान नहीं पहुंचाते। यह मिट्टी और पानी के स्रोतों को प्रदूषित नहीं करता।
2. मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि
भूमित्र और भूप्रहरी किट के तत्व मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है। इससे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता भी बढ़ती है।
3. खर्च में कमी
रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की तुलना में यह किट किफायती होता है और लंबे समय तक प्रभावी रहता है। किसानों को बार-बार उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं करना पड़ता।
4. फसल की सुरक्षा
जैविक कीटनाशकों और फफूंदनाशियों के उपयोग से फसलें हानिकारक कीटों और बीमारियों से सुरक्षित रहती हैं। इससे उत्पादन में स्थिरता आती है और किसानों को अधिक लाभ होता है।
5. सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक
भूमित्र और भूप्रहरी किट के उपयोग से फसलें रासायनिक अवशेषों से मुक्त रहती हैं, जिससे खाने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। यह किट पूरी तरह से गैर विषैले होते हैं और मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित होते हैं।
निष्कर्ष
भूमित्र और भूप्रहरी किट किसानों के लिए जैविक खेती की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है, बल्कि किसानों की आय में वृद्धि और उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक भोजन की गारंटी भी देता है। जैविक खेती की इस दिशा में बढ़ते कदमों से हम भविष्य में एक स्वस्थ और सुरक्षित कृषि प्रणाली की उम्मीद कर सकते हैं।
भूमित्र और भूप्रहरी किट का सही उपयोग किसानों को हानिकारक रसायनों से दूर रखता है और पर्यावरण को संतुलित रखता है। इस प्रकार, यह किट न केवल खेती में नवाचार लाती है, बल्कि जैविक खेती को मुख्यधारा में लाने के लिए एक आदर्श समाधान साबित होती है।
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